Moody's New Prediction On Indian Economy, 'banking Sector Credit Will Improve Soon' - भारतीय अर्थव्यवस्था पर मूडीज की नई भविष्यवाणी, 'बैंकिंग क्षेत्र की क्रेडिट में जल्द होगा सुधार'

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Wed, 02 May 2018 06:05 PM IST



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मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने बुधवार को कहा कि फंसे कर्ज की सही-सही पहचान के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा बैंकों पर कई साल से बनाए जा रहे दबाव के अंतिम चरण में पहुंचने से निकट अवधि में बैंकिंग क्षेत्र की लाभप्रदता घटेगी, लेकिन इसका दीर्घकालिक लाभ होगा। मूडीज ने बयान में बताया कि आरबीआई के इस दबाव से पहले से ही उच्च स्तर पर पहुंचे फंसे कर्ज (एनपीए) तथा प्रोविजनिंग के बोझ में और इजाफा होगा और निकट अवधि में बैंकों की लाभप्रदता पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। हालांकि बैंलेंस शीट साफ होने से दीर्घकाल में बैंकिंग क्षेत्र की क्रेडिट में वृद्धि होगी।

फंसे कर्ज की पहचान पर जोर से घटेगा बैंकों का लाभ

बयान के मुताबिक, आरबीआई के नियम क्रेडिट के लिए सकारात्मक हैं, क्योंकि वे फंसे कर्ज के निस्तारण के लिए एक साफ, समयबद्ध प्रक्रिया प्रदान करते हैं और ये बैंकिंग प्रणाली में भविष्य में फंसे कर्ज की समस्या को रोकेंगे। मूडीज ने कहा कि बैंकों की क्रेडिट प्रोफाइल का आकलन करते वक्त हम बैंकिंग प्रणाली की पुनर्गठित परिसंपत्तियों को भी गणना में शामिल करते रहे हैं। इसलिए, विभिन्न प्रकार की परिसंपत्तियों की संरचना में बदलाव से बैंकों की परिसंपत्तियों के हमारे आकलन पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।

फंसे कर्ज के निस्तारण के लिए आरबीआई द्वारा मार्च 2018 में लागू नए नियमों के तहत बैंक अब फंसे कर्ज की पहचान को विलंबित करने के लिए ऋण पुनर्गठन की विभिन्न योजनाओं का सहारा नहीं ले सकते। रिपोर्ट के मुताबिक, आरबीआई द्वारा साल 2015 में लोन बुक के निरीक्षण के बाद बैंकों ने कई कर्जों को एनपीए में डाला है, हालांकि उनके पास अभी भी भारी संख्या में पुनर्गठित कर्ज हैं, जिनमें से अधिकांश आने वाले समय में एनपीए में तब्दील हो जाएंगे।



मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने बुधवार को कहा कि फंसे कर्ज की सही-सही पहचान के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा बैंकों पर कई साल से बनाए जा रहे दबाव के अंतिम चरण में पहुंचने से निकट अवधि में बैंकिंग क्षेत्र की लाभप्रदता घटेगी, लेकिन इसका दीर्घकालिक लाभ होगा। मूडीज ने बयान में बताया कि आरबीआई के इस दबाव से पहले से ही उच्च स्तर पर पहुंचे फंसे कर्ज (एनपीए) तथा प्रोविजनिंग के बोझ में और इजाफा होगा और निकट अवधि में बैंकों की लाभप्रदता पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। हालांकि बैंलेंस शीट साफ होने से दीर्घकाल में बैंकिंग क्षेत्र की क्रेडिट में वृद्धि होगी।


फंसे कर्ज की पहचान पर जोर से घटेगा बैंकों का लाभ

बयान के मुताबिक, आरबीआई के नियम क्रेडिट के लिए सकारात्मक हैं, क्योंकि वे फंसे कर्ज के निस्तारण के लिए एक साफ, समयबद्ध प्रक्रिया प्रदान करते हैं और ये बैंकिंग प्रणाली में भविष्य में फंसे कर्ज की समस्या को रोकेंगे। मूडीज ने कहा कि बैंकों की क्रेडिट प्रोफाइल का आकलन करते वक्त हम बैंकिंग प्रणाली की पुनर्गठित परिसंपत्तियों को भी गणना में शामिल करते रहे हैं। इसलिए, विभिन्न प्रकार की परिसंपत्तियों की संरचना में बदलाव से बैंकों की परिसंपत्तियों के हमारे आकलन पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।

फंसे कर्ज के निस्तारण के लिए आरबीआई द्वारा मार्च 2018 में लागू नए नियमों के तहत बैंक अब फंसे कर्ज की पहचान को विलंबित करने के लिए ऋण पुनर्गठन की विभिन्न योजनाओं का सहारा नहीं ले सकते। रिपोर्ट के मुताबिक, आरबीआई द्वारा साल 2015 में लोन बुक के निरीक्षण के बाद बैंकों ने कई कर्जों को एनपीए में डाला है, हालांकि उनके पास अभी भी भारी संख्या में पुनर्गठित कर्ज हैं, जिनमें से अधिकांश आने वाले समय में एनपीए में तब्दील हो जाएंगे।





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