स्कूली बस पर नहीं, कश्मीरियों के तालीम के सपने पर हमला है
[ad_1] कश्मीर के शोपियां में स्कूली बच्चों की बस पर पत्थरबाजी की घटना जितनी दुखद और जघन्य है, उतनी ही आश्चर्यजनक भी है. क्योंकि तालीम को लेकर कश्मीर का मिजाज अलग है. एक आम कश्मीरी अपने बच्चे को अच्छी से अच्छी तालीम देना चाहता है, उसे अच्छे से अच्छे स्कूल में भेजना चाहता है. जो लोग कश्मीर से वाकिफ हैं वे इस बात को बखूबी जानते हैं. जो वहां नहीं गए हैं, उन्हें जानकर ताज्जुब होगा कि अगर आप श्रीनगर में घूमने निकल जाएं तो इंग्लिश मीडियम या कानवेंट कल्चर के स्कूलों की अच्छी तादाद दिखाई देगी. आमतौर पर कश्मीरी लोग भले ही पारंपरिक परिधान फिरन, एक लंबा सा चोगा, पहने नजर आएं, लेकिन जब पढ़ाई की बात आती है तो वे मदरसों को नहीं, इंग्लिश मीडियम स्कूल या सरकारी स्कूलों का रुख करते हैं. कई कानवेंट स्कूलों की इमारतें और सुविधाएं देखकर आप को लगेगा कि आप देहरादून के मशहूर स्कूलों को देख रहे हैं. स्कूली बच्चों के परिधान पारंपरिक नहीं होते हैं. लड़के लड़कियां पेंट शर्ट या स्कर्ट टॉप के साथ नीले या हरे रंग का ब्लेजर पहने दिखेंगे. हां, लड़कियां सिर पर पारंपरिक स्कार्फ जरूर लगाती हैं. उनके पास वैसे ही भारी स्...