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Neemrana Dialogue: No Change In India Position That Terror And Talks Cannot Go Together - भारत की पाक को दो टूक, आतंकवाद और बातचीत साथ साथ नहीं चल सकते

[ad_1] न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Updated Fri, 04 May 2018 09:57 AM IST ख़बर सुनें ख़बर सुनें भारत सरकार का कहना है कि उसने पाकिस्तान के साथ अनौपचारिक बातचीत नीमराना शुरू कर दी है। यह दोनों देशों के बीच एक सामान्य प्रक्रिया है। जहां एक तरफ विदेश मंत्रालय इस बात पर चुप्पी साधे हुए है कि इस बातचीत को सरकार की तरफ से मंजूरी मिली थी या नहीं वहीं मंत्रालय का कहना है कि वह पहले की स्थिति पर कायम है कि बातचीत और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते। इस बातचीत को नीमराना डायलॉग नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि साल 1991-92 में राजस्थान के नीमराना किले में भारत और पाकिस्तान के बीच पहली बैठक हुई थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार का कहना है कि दोनों तरफ से व्यावहारिक आदान-प्रदान सामान्य प्रक्रिया के तौर पर जारी है। यह दो नागरिक समाज के बीच एक बैठक थी जोकि पीपुल टू पीपुल बातची का का हिस्सा है। इसमें कुछ नया नहीं है।  नीमराना डायलॉग की नए सिरे से शुरुआत करने के लिए हाल ही में भारत से एक दल इस्लामाबाद गया था। भारत की तरफ से जहां इस दल का प्रतिनिधित्व पूर्व विदेश सचिव और पाकिस्तान विशेषज्ञ विवेक का...

कश्मीर में मानवाधिकार हनन अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के लिए चिंता का विषय, भारत ने कहा- पाक एजेंडे से भटका रहा

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[ad_1] संयुक्त राष्ट्र. पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र में भारत पर कश्मीर में मानवाधिकार हनन का आरोप लगाया। पाकिस्तान के राजनयिक मसूद अनवर ने कहा कि ये अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के लिए चिंता का विषय है। उधर, भारत ने कहा कि पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सूचना समिति को भटकाने की कोशिश कर रहा है।बता दें कि पिछले साल यूएन में पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने एक जख्मी लड़की की तस्वीर दिखाते हुए दावा किया था कि उसकी ये हालत कश्मीर में पैलेट गन से हमले के कारण हुई है। हालांकि बाद में तस्वीर गाजा हमले में घायल एक लड़की की निकली। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें [ad_2] Source link

वॉशिंगटन में पाक के नए राजदूत की नियुक्ति में अमेरिका की नहीं मिली मंजूरी, जानिए क्या है वजह

[ad_1] इस्लामाबाद: वॉशिंगटन में पाकिस्तान के नए राजदूत के रूप में अली जहांगीर सिद्दीकी की नियुक्ति को अमेरिका सरकार की मंजूरी नहीं मिल पा रही है क्योंकि उनके नए कार्यभार को देश की विभिन्न अदालतों में चुनौती दी गई है. यह बात गुरुवार(3मई) को एक मीडिया रिपोर्ट में कही गई. पाकिस्तान की संघीय सरकार ने मार्च में घोषणा की थी कि वह कराची के कारोबारी अली जहांगीर सिद्दीकी को अमेरिका में पाकिस्तान का राजदूत नियुक्त करना चाहती है. डॉन न्यूज के अनुसार पाकिस्तान ने लगभग दो महीने पहले संबंधित दस्तावेज अमेरिका भेजे थे और अब वह उसकी सहमति का इंतजार कर रही है. सहमति किसी राजनयिक प्रतिनिधि को उस देश की मंजूरी होती है जहां उसे नियुक्त किया जाना होता है. राजनयिक नियम मेजबान सरकार को दूसरी सरकार से यह कहने की अनुमति नहीं देते कि राजदूत के रूप में किसे भेजा जाए, लेकिन वे मेजबान सरकार को नियुक्ति मंजूर करने के लिए बाध्य भी नहीं करते. सिद्दीकी की नियुक्ति का आदेश सीधे प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी से आया था मीडिया में आई खबरों में दावा किया गया है कि सिद्दीकी की नियुक्ति का आदेश सीधे प्रधानमंत्री शाहिद खाका...