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'अगर अमेरिका परमाणु समझौते से हटता है तो ईरान भी इसका हिस्सा नहीं रहेगा'

[ad_1] तेहरान:  ईरान के शीर्ष नेता आयतुल्ला अली खामेनी के वरिष्ठ सलाहकार ने कहा है कि अगर अमेरिका परमाणु समझौते से हटने का फैसला करता है, तो ईरान भी विश्व शक्तियों के साथ हुए इस समझौते का हिस्सा नहीं रहेगा. सरकारी टेलीविजन वेबसाइट ने ईरान के विदेश नीति सलाहकार अली अकबर विलायती के हवाले से बताया, ‘‘अगर अमेरिका परमाणु समझौते से हटता है तो हम भी इस समझौते में नहीं बने रहेंगे.’’ ईरान ने परमाणु कार्यक्रमों पर रोक लगाने को लेकर वर्ष 2015 में अमेरिका एवं पांच विश्वशक्तियों के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे जिसके बदले में उसे प्रतिबंधों से राहत मिली थी. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस समझौते को ‘‘बेकार’’ बताते हुए इससे हटने की धमकी दी है. 12 मई को इस समझौते का नवीकरण होना है. ब्रिटेन में ईरान के दूत ने परमाणु समझौता रद्द करने की चेतावनी दी इससे पहले ब्रिटेन में ईरान के दूत ने कहा था कि अमेरिका के परमाणु समझौते से पीछे हटने की सूरत में ईरान भी इससे बाहर होने पर विचार कर सकता है. ब्रिटेन में ईरान के शीर्ष राजदूत हामिद बेदिनेजाद ने 3 मई को प्रसारित हुए एक साक्षात्कार में यह बात कही ...

'अगर अमेरिकी ने परमाणु समझौता तोड़ा, तो ईरान भी जवाबी कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगा'

[ad_1] लंदन: ब्रिटेन में ईरान के दूत ने कहा है कि अमेरिका के परमाणु समझौते से पीछे हटने की सूरत में ईरान भी इससे बाहर होने पर विचार कर सकता है. ब्रिटेन में ईरान के शीर्ष राजदूत हामिद बेदिनेजाद ने गुरुवार (3 मई) को प्रसारित हुए एक साक्षात्कार में यह बात कही. हामिद ने कहा कि अगर अमेरिका 2015 में हुए इस समझौते से पीछे हटता है तो ईरान भी “अपनी पिछली स्थिति में लौटने के लिए तैयार है.” अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस समझौते से बाहर निकलने की धमकी दी थी. सीएनएन के साथ साक्षात्कार में ईरान के दूत ने कहा, “जब अमेरिका इस समझौते से बाहर हो जाएगा तो इसका मतलब होगा कि कोई समझौता बचा ही नहीं.” उन्होंने कहा, “ऐसा इसलिए होगा क्योंकि एक महत्त्वपूर्ण पक्ष ने संधि को निरस्त किया है और साफ तौर पर इसका उल्लंघन किया है.’’ खबरों के मुताबिक ट्रंप ने इस समझौते को रद्द करने की बात कही है जो ईरान और छह अन्य वैश्विक शक्तियों के बीच हुआ था. अमेरिका को 12 मई तक इस समझौते को अपना समर्थन नए सिरे से देना था, लेकिन ट्रंप ने इससे पहले ही समझौते से बाहर होने की बात कह दी थी. ईरान समझौते से पीछे नहीं हटे अमेरिका :...

अगर कॉलेजियम ने जस्टिस जोसेफ की फाइल दोबारा सरकार के पास भेजी तो क्‍या होगा?

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[ad_1] नई दिल्‍ली: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश के बावजूद सरकार ने 28 अप्रैल को उत्तराखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ के नाम की फाइल को पुनर्विचार के लिए वापस लौटा दिया . उसके बाद दो मई को कॉलेजियम फिर से जस्टिस जोसेफ के नाम पर विचार के संबंध में बैठक करने जा रही है. इसके साथ ही बड़ा सवाल यह उठता है कि यदि कोर्ट ने सरकार की आपत्तियों के बावजूद जस्टिस जोसेफ के नाम की फिर से सिफारिश की तो क्‍या होगा? वैसे तो आमतौर पर सरकारें कॉलेजियम की सिफारिशों को मानती रही हैं. ऐसा यदा-कदा ही हुआ है कि सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट के सुझाव किसी नाम पर आपत्ति उठाई हो. इस मामले में कानून के जानकारों के मुताबिक यदि जस्टिस केएम जोसेफ के नाम को दोबारा कॉलेजियम सरकार के पास विचार के लिए भेजती है तो सरकार को इस फैसले को मानना ही होगा. कॉलेजियम सुप्रीम कोर्ट के पांच सबसे सीनियर जजों की कमेटी होती है जो जजों की नियुक्तियों और प्रमोशन के संबंध में फैसले लेती है. इस वक्‍त चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस बी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ कॉलेजियम के सदस्‍य हैं. इन सभ...