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Exclusive: BJP कर्नाटक प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर बोले- कांग्रेस जा रही है और बीजेपी आ रही है

[ad_1] रविंद्र कुमार, बंगलुरू: कर्नाटक विधानसभा चुनाव का समर अपने चरम पर है. राजनीतिक दलों के चर्चित चेहरे एक दिन में कई-कई रैलियों में शिरकत करते नजर आ रहे हैं. कर्नाटक के चुनावी खुमार के बीच ही बेंगलुरू में जी मीडिया ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री और बीजेपी कर्नाटक प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर के साथ खास बातचीत की. बातचीत के दौरान जावड़ेकर ने एक बार फिर दावा किया कि कर्नाटक से कांग्रेस जा रही है और बीजेपी आ रही है. इसके साथ ही उन्होंने कई अन्य मुद्दों पर भी जी मीडिया से बातचीत की. पढ़ें इंटरव्यू में पूछे गए सवाल और उनके जवाब... सवाल- क्या कांग्रेस मुक्त हो पाएगा कर्नाटक? जावड़ेकर- बिलकुल, कर्नाटक से कांग्रेस जा रही है बीजेपी आ रही है. हम पूर्ण बहुमत और अप्रत्याशित जीत की तरफ जा रहे हैं. हमें कोई आशंका नहीं है. मोदी जी के आने के बाद कांग्रेस ने हर चुनाव में अपना राज्य खोया है. कर्नाटक के आसपास ही पहले तेलंगाना, फिर आंध्रा, फिर केरल खोया, महाराष्ट्र खोया. चारों आसपास के राज्य खोए, अब कर्नाटक भी जा रहा है. इसी तरह नॉर्थ ईस्ट में भी अपने राज्य खोए. जम्मू कश्मीर, हरियाणा, हिमाचल और उतर...

Pm Modi Is Making Bjp Wave In By Rallies In Karnataka - कर्नाटक चुनाव: मोदी की रैलियों से बीजेपी की लहर बनाने की कोशिश

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[ad_1] ख़बर सुनें ख़बर सुनें कर्नाटक के विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शुरुआत में केवल 12 रैलियां आयोजित करने की योजना बनाई थी। लेकिन जैसे जैसे प्रचार जोर पकड़ रहा है, मोदी की रैलियों की संख्या बढ़ती जा रही है। पहले 12 से बढ़कर 15 हुई, उसके बाद 18 और अब यह तय हुआ है कि कर्नाटक में प्रधानमंत्री की कुल 21 रैलियां आयोजित कर बीजेपी की लहर बनाई जाए। फिलहाल वे एक दिन छोड़कर कर्नाटक का दौरा कर रहे हैं। लेकिन मतदान के पास आने पर वे रोज कर्नाटक जाएंगे। चूंकि प्रधानमंत्री की हर रैली में दो लाख से तीन लाख लोग आ रहे हैं, पार्टी को विश्वास है कि इन रैलियों से उन्हें सुनिश्चित बढ़त प्राप्त होगी। प्रधानमंत्री केवल रैलियां ही संबोधित नहीं कर रहे हैं। जिस दिन वे कर्नाटक नहीं जा पा रहे हैं उस दिन वे नमो ऐप के जरिए पार्टी कार्यकर्ताओं से बात करते हैं। कभी युवाओं से, कभी महिलाओं से तो कभी व्यापारियों से। इससे न सिर्फ कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार हो रहा है बल्कि प्रधानमंत्री स्वयं जमीनी हकीकत से रोज रूबरू हो रहे हैं। यह पहली बार नहीं है कि बीजेपी प्रधानमंत्री म...

मध्यप्रदेश में जेब में प्याज लेकर क्यों घूम रहे हैं बीजेपी विधायक?

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[ad_1] BJP MLAs ध्यप्रदेश में प्याज किसानों को भले ही रुलाए लेकिन बीजेपी के लिए ये सियासी दवा से कम नहीं है. जेब में प्याज लेकर घूमने की सलाह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दी है...(फोटो साभार: Facebook) [ad_2] Source link

पालघर उपचुनाव: बीजेपी को झटका, दिवंगत सांसद के परिवार के सदस्य शिवसेना में शामिल

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[ad_1] पालघर: लोकसभा के दिवंगत सदस्य चिंतामन वनगा के परिवार के सदस्य बीजेपी को झटका देते हुए शिवसेना में शामिल हो गए हैं. वनगा के परिवार के सदस्यों ने बीजेपी पर 'अन्याय' का आरोप लगाया है. बीजेपी सांसद चिंतामन वनगा का 30 जनवरी को दिल्ली में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था. वनगा की विधवा जयश्री व उनके बच्चों श्रीनिवास व प्रफुल्ल ने शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से गुरुवार को मुलाकात की और बीजेपी छोड़ने के अपने फैसले की घोषणा की. जयश्री वनगा ने कहा, "बीते 35 सालों से चिंतामन वनगा ने इस इलाके में पार्टी को तैयार किया, लेकिन बीजेपी नेताओं ने हमारे साथ अन्याय किया और पूरी तरह से हमे नजरअंदाज किया. हमने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस व बीजेपी के राज्य इकाई के अध्यक्ष राव साहेब पाटिल-दानवे से मिलने का समय मांगा, लेकिन हमें कोई जवाब नहीं मिला." परिवार ने कहा कि इसी के मद्देनजर उसने भारतीय जनता पार्टी छोड़ने व शिवसेना में शामिल होने का फैसला किया. वनगा परिवार का शिवसेना में स्वागत करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि वनगा परिवार ने हिंदुत्व वोटों को बिखराव से बचाने व हिंदुत्व विचारधा...

क्या सच में शिवराज सिंह चौहान की जगह नया चेहरा लाएगी बीजेपी?

[ad_1] भोपाल: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जो गुरुवार को एक कार्यक्रम में कहा था कि 'मेरी खाली कुर्सी पर अब काई भी बैठ सकता है' उसके मायने निकाले जा रहे हैं. हालांकि शिवराज ने यूटर्न लेते हुए अपने बयान को 'मजाक' बताया था लेकिन सच तो यह है कि पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में उनकी जगह नए चेहरे को लाने पर तेजी से मंथन चल रहा है. कोशिश चल रही है कि साफ छवि वाला, संघ का करीबी, सभी वर्गो और नेताओं में गहरी पैठ बनाने वाले किसी युवा चेहरे को जिम्मेदारी सौंपी जाए. पार्टी और संघ फैसला जल्दी लेने का मन बना चुका है, क्योंकि अगर देर हुई तो शिवराज के चेहरे पर ही पार्टी को अगला चुनाव लड़ना होगा. पार्टी को लगता है कि नए चेहरे से कांग्रेस 15 साल का हिसाब भी नहीं मांग पाएगी और यह भी संभव है कि नया चेहरा देख जनता व्यापम से लेकर आरती घोटाले तक को भूल जाए. किसान आत्महत्याओं, किसान गोलीकांड और भावांतर के भंवर पर पर्दा डालने में भी नया चेहरा मददगार साबित हो.  उधर, कांग्रेस ने भी चुनाव से पहले अपने संगठन में बड़ा बदलाव किया है. प्रदेश अध्यक्ष पूर्व केंद्रीय मं...