Bjp Facing Self Goal By Own Leaders On Dalit Issue - दलितों को साधने की बीजेपी की रणनीति पर उसी के मंत्री- सांसद लगा रहे पलीता

[ad_1]


ख़बर सुनें



दलितों पर राजनीति कोई नई बात नहीं है। लंबे समय से दलित कार्ड राजनीति का प्रमुख एजेंडा रहा है और बात जब चुनाव में मतदाताओं को लुभाने की हो तो यह कार्ड आन-बान की बात हो जाती है। दलित विरोधी छवि से जूझ रही भारतीय जनता पार्टी दलितों को प्रभावित करने का हर दांव उल्टा पड़ता दिखाई दे रहा है। 

पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी एक्ट में बदलाव के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की छवि जहां और दलित विरोधी बन रही है वहीं मोदी सरकार के मंत्री अपने सरकार की छवि सुधारने की पुरजोर कोशिश में जुटे हैं।

लेकिन कोई भी दलित कार्ड काम नहीं आ रहा है। चाहें दलितों के घर जाकर खाना खाने का हो या फिर उनके घर सोने का या बात करें उनके साथ उनकी परेशानियों को जानने का,भाजपा मंत्रियों का सारा दांव उल्टा ही पड़ता जा रहा है।

भाजपा के मंत्री, विधायक और सांसद अपने बयानों और गतिविधियों से सरकार की फजीहत करा रहे हैं। सत्तारूढ़ बीजेपी जहां दलितों तक अपनी पहुंच बनाने पर काम कर रही है, वहीं उनके नेता गलतियां कर न सिर्फ विवादों में घिर रहे हैं, बल्कि जाति के पुर्वाग्रह को भी मजबूत करते दिख रहे हैं।

मामला उत्तर प्रदेश का है जहां योगी सरकार के मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह ने खुद को और बीजेपी नेताओं की तुलना भगवान राम से कर दी है, जो दलितों के घर जाते हैं और उनके साथ बैठकर खाना खाते हैं।

वहीं, योगी सरकार में एक और मंत्री सुरेश राणा ने अलीगढ़ में दलित के घर बाहर से लाए गये शाही भोजन और मिनरल वाटर के साथ खाना खाकर इसे एक और नई परिभाषा दे दी है। योगी सरकार की मंत्री अनुपमा जायसवाल ने भी दलितों के यहां खाने को लेकर एक हास्यास्पद बयान दे डाला है उन्होंने कहा- मच्छर काटने के बावजूद मंत्री दलितों के घर रुक रहे हैं। 
दलितों पर हो रही राजनीति से आहत बीजेपी के दलित सांसद उदित राज ने मंत्रियों की इन हरकतों को शर्मनाक और  ऐसी घटनाओं को दलित समुदाय के लिए अपनामजनक बताया है। उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी के दलितों का मानना है कि यह उन्हें नीचा दिखाता है। उदित राज ने कहा कि मैं बीजेपी के प्रवक्ता के रूप में नहीं बोल रहा हूं बल्कि एक दलित के रूप में बोल रहा हूं। मैं इसका समर्थन नहीं करता हूं कि एक सवर्ण दलित के घर यह बोलने जाता है कि देखो वे नीच हैं और दूसरे ऊंचे हैं। 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी भाजपा के मंत्रियों को दलितों के घर में खाना खाने का दिखावा करने से बचने की सलाह दी है। संघ के प्रचार प्रमुख डॉ मनमोहन वैद्य ने कहा, "पीएम मोदी ने नेक नीयती से दलितों के कल्याण की मुहिम चलाई थी लेकिन पार्टी नेताओं ने उनकी विचार धारा को ही नष्ट कर दिया है।" 

उन्होंने कहा कि 'संघ सदियों से नवरात्रि के समय दलित बालिकाओं को अपने घर पूजते आ रहे हैं लेकिन कभी दिखावा नहीं किया।' संघ से पहले केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने भी 'दलितों के लिए आयोजित भोज में शामिल होने से यह कह कर मना कर दिया कि वह भगवान राम नहीं हैं, जो दलितों के साथ भोजन कर उन्हें पवित्र कर देंगी।' 

वहीं, बहराइच की भाजपा सांसद सावित्री बाई फुले ने नेताओं के दलितों के घर भोजन करने को लेकर सवाल उठाए और उन (नेताओं) के इस कृत्य को दलितों का अपमान बताया। उन्होंने कहा कि ये जो परंपरा चल रही है, उसमें दलित वर्ग का सिर्फ अपमान हो रहा है। नेता दलित के घर खाना खाने जाते हैं लेकिन खाना बनाने वाला कोई और होता है, परोसने वाला कोई और...। बर्तन टेंट हाउस के होते हैं। 


दलितों पर राजनीति कोई नई बात नहीं है। लंबे समय से दलित कार्ड राजनीति का प्रमुख एजेंडा रहा है और बात जब चुनाव में मतदाताओं को लुभाने की हो तो यह कार्ड आन-बान की बात हो जाती है। दलित विरोधी छवि से जूझ रही भारतीय जनता पार्टी दलितों को प्रभावित करने का हर दांव उल्टा पड़ता दिखाई दे रहा है। 


पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी एक्ट में बदलाव के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की छवि जहां और दलित विरोधी बन रही है वहीं मोदी सरकार के मंत्री अपने सरकार की छवि सुधारने की पुरजोर कोशिश में जुटे हैं।

लेकिन कोई भी दलित कार्ड काम नहीं आ रहा है। चाहें दलितों के घर जाकर खाना खाने का हो या फिर उनके घर सोने का या बात करें उनके साथ उनकी परेशानियों को जानने का,भाजपा मंत्रियों का सारा दांव उल्टा ही पड़ता जा रहा है।

भाजपा के मंत्री, विधायक और सांसद अपने बयानों और गतिविधियों से सरकार की फजीहत करा रहे हैं। सत्तारूढ़ बीजेपी जहां दलितों तक अपनी पहुंच बनाने पर काम कर रही है, वहीं उनके नेता गलतियां कर न सिर्फ विवादों में घिर रहे हैं, बल्कि जाति के पुर्वाग्रह को भी मजबूत करते दिख रहे हैं।

मामला उत्तर प्रदेश का है जहां योगी सरकार के मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह ने खुद को और बीजेपी नेताओं की तुलना भगवान राम से कर दी है, जो दलितों के घर जाते हैं और उनके साथ बैठकर खाना खाते हैं।

वहीं, योगी सरकार में एक और मंत्री सुरेश राणा ने अलीगढ़ में दलित के घर बाहर से लाए गये शाही भोजन और मिनरल वाटर के साथ खाना खाकर इसे एक और नई परिभाषा दे दी है। योगी सरकार की मंत्री अनुपमा जायसवाल ने भी दलितों के यहां खाने को लेकर एक हास्यास्पद बयान दे डाला है उन्होंने कहा- मच्छर काटने के बावजूद मंत्री दलितों के घर रुक रहे हैं। 





आगे पढ़ें

दलितों के घर में खाना खाने का दिखावा करने से बचने की सलाह दी है







[ad_2]

Source link

Comments

Popular posts from this blog

Summer Zervos, Trump Accuser, Subpoenas ‘The Apprentice’ Recordings

Giuliani Appears to Veer Off Script. A Furor Follows.

Trump Says Payment to Stormy Daniels Did Not Violate Campaign Laws